माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें: हममें से कोई नहीं चाहेगा कि उनके माता-पिता का हाथ उनके ऊपर से कभी भी उठे अथवा वह इस दुनिया को छोड़कर जाए लेकिन मृत्यु एक अटल सत्य है जो कभी बताकर नहीं आती। माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का अधिकार उनके घर वालों का होता है लेकिन अक्सर संपत्ति को लेकर कई कानूनी दाव-पेंच और आपसी झगड़ा देखने को मिल जाएंगे,शांतिपूर्वक संपत्ति का स्थानांतरण किया जा सके इसके लिए भारतीय कानून, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के प्रावधानों का अनुपालन करता है।
आईये आज के इस लेख में हम आपको “माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें” इस बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें?
सबसे पहले तो हम आपको बता दें की माता-पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी निष्पादक या प्रशासक कहलाता है किसी व्यक्ति की संपत्ति कानूनी तौर पर क्लास एक उत्तराधिकारियों के रूप में उसके बेटी, बेटी, पत्नी और मां को वितरित की जाती है यह वितरण एक समान रूप से होता है जिसमें निष्पक्ष तरीके से बेटी और बेटी को वयस्क होने के बाद संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार दे दिया जाता है अगर बेटे और बेटी की उम्र 18 वर्ष से कम है तो उनको मिलने वाली विरासती संपत्ति का प्रबंधन उनकी मां द्वारा कानूनी रूप से किया जाता है।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण भी एक तरह की प्रथा है किसी कानून और धर्म के अनुसार नियंत्रित किया जाता है संपत्ति संबंधित उत्तराधिकार कानून को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार के पास दो अधिनियम है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925, इन दोनों अधिनियमों के डायरी में रहकर ही बृहस्तीय संपत्ति का हस्तांतरण किया जाता है।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें वसीयत के बिना
वसीयत के बिना संपत्ति का हस्तांतरण जैसे मामले अक्सर देखे जाते हैं जिसमें मृतक मृत्यु से पहले संपत्ति को कानूनी रूप से किसी को हस्तांतरित नहीं करता है अर्थात मृतक द्वारा जीवित रहने के दौरान वसीयत संबंधी कार्य का निपटान नहीं किया जाता है उसे मामले में बिना वसीयत के मरने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद संपत्ति का वितरण धर्म के आधार पर कानूनी नियम अनुसार किया जाता है।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें हिन्दू धर्म में
हिंदू धर्म में संपत्ति का हस्तांतरण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत किया जाता है जिसमें प्राथमिक रूप से वितरण प्रक्रिया के चार क्लासों में से क्लास-1 उत्तराधिकारियों के अंतर्गत मां, बेटी, बेटा और पत्नी के बीच संपत्ति का हस्तांतरण किया जाता है इसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाएं की जाती हैं जिन्हें हम आगे लेख में बताने वाले हैं।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें मुस्लिम धर्म में
मुस्लिम धर्म में माता-पिता की संपत्ति की मृत्यु के बाद संपत्ति हस्तांतरण “मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 के तहत कम से कम 2/3 हिस्सा विरासत कानून के अनुसार परिवार को मिलता है जबकि शेष 1/3 भाग वसीयतनामा के माध्यम से वितरित किया जाता है। इसी तरह हर एक धर्म के लिए अलग-अलग भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम बने गए हैं इससे संपत्ति हस्तांतरण में कोई परेशानी ना हो।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें जानिए प्रक्रिया
- माता-पिता की मृत्यु के बाद निगम नगर पालिका से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद संबंधित पक्ष यानी कि आपको उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु प्रोबेट रजिस्ट्री में एक आवेदन करना होगा।
- अदालत द्वारा न्यायालय द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाता है की प्रशासक उसे स्थान पर निवास करता है जहां पर वह संपत्ति का अधिकार मांग रहा है इन सबको सुनिश्चित करने के बाद अदालत सभी कानूनी अधिकारियों को सूचित करती है सूचित करता है और समाचार पत्र में एक विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है अदालत यह भी सुनिश्चित करती है कि जिस संपत्ति के लिए अपने आवेदन किया है उसका कोई और उत्तराधिकारी नहीं है और इसकी आपत्ति के लिए 4 से 6 सप्ताह तक विचार किया जाता है।
- अदालत को आपका आवेदन प्राप्त होगा तो संपत्ति के ‘प्रशासन पत्र’ को उत्तराधिकारी के लिए तैयार किया जाएगा जब यह प्रशासन का अनुदान आपको मिलता है तो आप संपत्ति के प्रशासक बन जाएंगे प्रशासन का अनुदान यह सुनिश्चित करता है कि मृत व्यक्ति की संपत्ति को उत्तराधिकारी के तौर पर आप संभालने के लिए प्रशासक का अधिकार मांग रहे हैं।
माता-पिता की मृत्यु के बाद 90 दिन के भीतर करें संपत्ति का हस्तांतरण करने के लिए आवेदन
घर और कृषि भूमि के कानूनी उत्तराधिकारियों को माता-पिता की मृत्यु के 90 दिनों के भीतर निम्नलिखित तरीके से आवेदन करना होगा: कृषि भूमि को सभी चार सदस्यों के लिए चार बराबर भागों में विभाजित किया जाएगा। आमतौर पर, घर चारों उत्तराधिकारियों को संयुक्त रूप से विरासत में मिलता है। यदि बेटी घर का अपना हिस्सा बेचना चाहती है, तो पूरा घर बेटे/बेटों की सहमति से बेचा जा सकता है, और बिक्री राशि को समान रूप से विभाजित किया जा सकता है।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको “माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें” के बारें में विस्तार से जानकारी दी है, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके हमें जरुर बताये और इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर करें. इसी प्रकार की और भी खबरों को हिंदी में पढने के लिए DhadakNews को Subscribe अवश्य करें और हमारे सोशल मीडिया अकाउंट को भी फॉलो करें।
पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण कैसे करें?
माता-पिता की मृत्यु के बाद निगम नगर पालिका से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद संबंधित पक्ष यानी कि आपको उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु प्रोबेट रजिस्ट्री में एक आवेदन करना होगा।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है?
भारतीय कानून के अनुसार पिता के मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का मालिक उसके परिवार वाले होते है. जिसमें क्लास-1 के उत्तराधिकारियों को प्राथमिकता दी जाती है जिसमें बेटे, बेटियां, माता और पत्नी शामिल हैं।
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति अपने नाम कैसे करें?
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति को अपने नाम करने के लिए यदि आप उनके बेटे है तो आपको कुछ दस्तावेज जैसे सम्बन्ध बताने वाले कागज आदि की आवश्यकता होगी उसके बाद आवेदन करने पर अदालत द्वारा संपत्ति आपके नामे कर दी जाएगी।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति पर किसका अधिकार होता है ?
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति पर पत्नी, बेटा, बेटी और माँ का अधिकार सर्वप्रथम होता है सम्पंत्ति को मौजूदा परिवार सदस्यों में एक सामान रूप से वितरण किये जाने का प्रावधान है।
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